आईआईएफसीएल ने पांच गुना लाभ वृद्धि प्राप्त की है : पी आर जयशंकर का दृष्टिकोण
विवेक अवस्थी, एडिटर-इन-चीफ www.indianpsu.com के साथ पीआर जयशंकर का विशेष साक्षात्कार

भारत में बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए आगे की राह व्यापक आर्थिक बाधाओं के बावजूद आशाजनक दिख रही है। पारंपरिक स्रोतों के अलावा कई वैकल्पिक और दीर्घकालिक वित्त पोषण के रास्ते तलाशे जा रहे हैं। www.indianpsu.com के साथ एक साक्षात्कार में, इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड(आईआईएफसीएल) के प्रबंध निदेशक, पीआर जयशंकर ने कंपनी की हाल ही के प्रयासों(पहलों) और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों, बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए भविष्य की आवश्यकताओं, हरितक्षेत्रीय (ग्रीनफील्ड) वित्तपोषण के लिए संभावित रणनीतियों और समाधानों के साथ-साथ आस्तियों पुनर्गठन और पुनर्वित्त, और लंबी अवधि के वित्तपोषण के लिए आवश्यक नीति और नियामक उपायों के बारे में बात की …
2021 में आईआईएफसीएल की प्रमुख पहलें क्या रही हैं?
साल 2021 काफी अहम रहा है। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हम आधारभूत मार्ग (फंडामेंटल ट्रैक) पर हैं और आस्ति(संपत्ति) की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। कंपनी गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) को मार्च 2020 के 19.7 प्रतिशत से 2021 तक 13.91 प्रतिशत तक लाने में काफी सफल रही। इसके अलावा, शुद्ध एनपीए लगभग 10 प्रतिशत से घटकर 4.76 प्रतिशत तक हो गया, और इसी अवधि में प्रावधान -से-कवरेज अनुपात लगभग 50 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 64.12 प्रतिशत हो गया। इसके अलावा हमें यह सुनिश्चित करना था कि संगठन फिर से लाभदायक बने। आईआईएफसीएल ने मुनाफे में पांच गुना वृद्धि हासिल की है, जो 2021 में 3.75 अरब(बिलियन) रुपये थी, जबकि 2020 में यह 510 मिलियन (51.1 करोड) रूपये थी। कंपनी ने अपनी स्थापना के बाद से वर्ष 2021 में अब तक के सबसे अधिक संस्वीकृतियां(अनुमोदन) और संवितरण दर्ज किए हैं। इसके अलावा, कंपनी ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और अन्य रियायती प्राधिकरणों द्वारा प्रदान किए गए अवसरों का लाभ उठाने की कोशिश की। हमने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी), भारतमाला परियोजना और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को सहायता प्रदान करना जारी रखा। आईआईएफसीएल ने स्वास्थ्य सेवाओं (हेल्थकेयर) और शहरी गैस क्षेत्र(सिटी गैस सेक्टर) पर भी ध्यान देना शुरू कर दिया है। आईआईएफसीएल ने ड्रोन प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बौद्धिकता आदि का उपयोग करके वास्तविक समय की निगरानी के लिए एक ऑनलाइन परियोजना निगरानी प्रणाली स्थापित की है। हमने समय सीमा को कम करने और समग्र ग्राहक संतुष्टि को बढ़ाने के लिए एक एकीकृत सूचना प्रौद्योगिकी समाधान भी शुरू किया है। हमने नीति और प्रतिप्रेषण(फीडबैक) के लिए अनुसंधान और परामर्श पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है।
वर्तमान ऋण पोर्टफोलियो क्या है?
आईआईएफसीएल के एकल(स्टैंड-अलोन)पोर्टफोलियो के अनुसार मौजूदा ऋण लगभग 383 अरब(बिलियन) रुपये का है, जबकि परिसंपत्ति आधार 554 अरब(बिलियन) रुपये है। जबकि आईआईएफसीएल बड़े पैमाने पर सड़क और ऊर्जा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, इसने हवाई अड्डों, बंदरगाहों और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे अन्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है। हमने पुनर्वित्त परियोजनाओं की हिस्सेदारी भी बढ़ाई है। परिणामस्वरूप, परिसंपत्ति(आस्ति) पोर्टफोलियो में लगभग 35 प्रतिशत पुनर्वित्त, 32 प्रतिशत सड़कें और 31 प्रतिशत ऊर्जा परिसंपत्तियां(अस्तियां) शामिल हैं।

अगले 5-10 वर्षों में बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण की क्या आवश्यकताएं होंगी?
नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) में 2019-20 और 2024-25 के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में कुल 110 ट्रिलियन रुपये के निवेश की परिकल्पना की गई है। स्थिरता के नजरिए से, एनएमपी एनआईपी का समर्थन करने के लिए एक मजबूत स्तंभ है। आगे चलकर, गति शक्ति एक महत्वपूर्ण कारक होगा, जो सूचना का प्रवाह प्राप्त करने, डिजिटलीकरण करने और एनआईपी के सुचारू प्रसंस्करण और एनएमपी के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। बैंकों की निवल संपत्ति, ने नए युग की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की बढ़ी हुई और दीर्घकालिक वित्त पोषण आवश्यकताओं के साथ तालमेल नहीं रखा है, जो कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र के प्रमुख वित्तपोषक रहे हैं ।
हमें एक ऐसा वातावरण बनाने की जरूरत है जो बुनियादी ढांचे के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण को बढ़ावा दे। हमें एक ऐसी प्रणाली अपनानी होगी जो संस्थाओं के एक समूह से दूसरे समूह में संपत्तियों(आस्तियों) को स्थानांतरित करने में सक्षम हो। मानक परिसंपत्तियों(आस्तियों) के नकदी प्रवाह का पुनर्निर्धारण और उन्हें अन्य संस्थानों में पारित करना वास्तव में एक नियामक ढांचे में प्रोत्साहन नहीं है। इसलिए, हमें प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय विनियमन की समीक्षा को देखने की जरूरत है। यदि ऐसा होता है, तो बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण को इस तरह से संचालित करना बहुत आसान और सरल हो जाएगा जिससे सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त हों। यह मौलिक दक्षता भी लाएगा और परियोजना व्यय को कम करके उपयोगकर्ता शुल्क में कमी लाएगा।
हरितक्षेत्र (ग्रीनफील्ड) वित्तपोषण के संदर्भ में, आपको क्या लगता है कि हम इसे कैसे आसान बना सकते हैं?
पारंपरिक बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण संस्थान वे हैं जिनके पास हरित क्षेत्रों (ग्रीनफील्ड) को वित्तपोषित करने के लिए आवश्यक कौशल और क्षमता है। हरितक्षेत्र (ग्रीनफील्ड) परिसंपत्तियों के लिए, ये संस्थान एक महत्वपूर्ण भूमिका
निभाते रहेंगे, एनबीएफसी-आईएफसी जैसे आईआईएफसीएल, पीएफसी, आदि द्वारा पूरक। एक नई वित्तीय संरचना की आवश्यकता है जिसमें बैंक निर्माण चरण (पांच से सात वर्षों के लिए) तक एक बुनियादी ढांचा परियोजना को वित्तपोषित करते हैं। और बाद में वित्तपोषण दीर्घकालिक विकास वित्त संस्थानों और/या बांड बाजार के माध्यम से किया जाता है। अब हमारे पास बुनियादी ढांचे के निवेश ट्रस्टों, विदेशी निवेशकों की भागीदारी और कई अन्य लोगों के साथ एक अच्छी तरह से विकसित ब्राउनफील्ड वातावरण है। निजी क्षेत्र की भागीदारी के संबंध में, बुनियादी ढांचे के विकास में निजी क्षेत्र की भूमिका को बढ़ाने के लिए जोखिमों के समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए रियायत समझौते तैयार किए जा रहे हैं। इस माहौल में, यह कहा जा सकता है कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र परिपक्व हो रहा है। प्रमुख बुनियादी ढांचा उप-क्षेत्रों और मंत्रालयों में विभिन्न गतिविधियां चल रही हैं। उदाहरण के लिए, सड़क क्षेत्र में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय अपने सुधारात्मक कार्यक्रमों में अग्रणी है। हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल और टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर मॉडल में निजी क्षेत्र की काफी रुचि रही है। हालाँकि, जमीनी स्तर पर पुनः प्राप्त करने के लिए आपूर्ति-पक्ष के हस्तक्षेप में समय लगेगा। परिणामस्वरूप, ग्रीनफील्ड वित्तपोषण निजी क्षेत्र के निवेशकों और उधारदाताओं के विश्वास पर अत्यधिक निर्भर है। आगे बढ़ने के लिए, विभिन्न मंत्रालयों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की पुष्टित करने के लिए एक व्यापक दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर अवश्य विचार करना चाहिए। आईआईएफसीएल एक बुनियादी ढांचा कानून की हिमायत कर रहा है, जो सभी व्यवस्था (सिस्टम) हितधारकों के हितों को ध्यान में रखेगा और इस प्रकार के कार्यक्रम को संस्थागत रूप देगा। निजी निवेशकों और अन्य हितधारकों के लिए, विश्वास बहाल होगा, यदि कोई ऐसा कानून है जो प्रकृति में काफी अधिक सुरक्षात्मक है। इस प्रकार, निजी निवेशक विश्वास को बहाल करने के लिए, व्यवस्था (सिस्टम) में एक अधिक स्थायी नीति पर विचार किया जाना चाहिए, जिसे केवल कानून के माध्यम से ही पूरा किया जा सकता है। कनाडा, अमेरिका के कुछ राज्यों के साथ-साथ कुछ यूरोपीय देशों में पहले से ही कानून हैं। पीपीपी पहल में भारत की प्रमुखता एक कानून के माध्यम से हितधारकों के हितों की रक्षा करने की आवश्यकता है।
क्या ये कानून कुछ अन्य देशों के कानूनों से अलग हैं?
मैं कानून में जो कल्पना करता हूं वह उन मुद्दों के व्यापक विस्तार को शामिल करेगा जो सिस्टम के हितधारकों को प्रभावित करते हैं, जिसमें रियायत प्राधिकरण, छूटग्राही, उधारदाताओं, अन्य सेवा प्रदाताओं के साथ-साथ लंबी अवधि के बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाले विवादों को हल करने के लिए एक तंत्र शामिल है। बुनियादी ढांचा परियोजनाएं भी पीढ़ीगत प्रकृति की होती हैं क्योंकि वे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती हैं। इन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की देखरेख चार से पांच अलग-अलग प्रशासन द्वारा की जा सकती है। इसे एक दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से देखते हुए, हमें इन मुद्दों को हल करने की आवश्यकता है, लेकिन हमें कार्यक्रम के कार्यान्वयन के साथ-साथ अनुबंध के नियमों और शर्तों के प्रवर्तन को सुनिश्चित करने के लिए जोखिमों को ठीक से वितरित करने के लिए एक प्रणाली की भी आवश्यकता है। जिस तरह से सहमति हुई है। शासन के उत्कृष्ट स्तर को सुनिश्चित करने के लिए ये सभी महत्वपूर्ण घटक हैं और साथ ही, सिस्टम में निवेशकों का उच्च स्तर का विश्वास है। तभी महत्वपूर्ण निवेश प्रवाहित होने लगेंगे।
क्या पुनर्निर्धारण और अवसंरचना कानून के संदर्भ में उपरोक्त नीतियों के अलावा कोई अन्य नीति या नियामक उपाय हैं?
जब हम क्षेत्रीय नीतियों की जांच करते हैं, तो हम देखते हैं कि प्रत्येक अवसंरचना(इन्फ्रास्ट्रक्चर) उप-क्षेत्र की कुछ विशिष्ट आवश्यकताएं होती हैं, चाहे वह सड़क मार्ग, हवाई अड्डे आदि हों। उदाहरण के लिए, हाल ही में, मूल्य निर्धारण बंदरगाह क्षेत्र के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय था। हालांकि, मेरा मानना है कि वित्तीय क्षेत्र के मानक अन्य सभी बुनियादी ढांचा क्षेत्रों पर सार्वभौमिक रूप से लागू होते हैं। बॉन्ड बाजार की तरलता और गहराई में सुधार के लिए कई उपाय(पहलें) की गई हैं। इसके परिणामस्वरूप कई बुनियादी ढाँचे जारी किए गए हैं, जिनका कारोबार भी होता है। इसके अलावा, निवेशक आधार का विस्तार करने की आवश्यकता है। पहले, केवल एएए-रेटेड निर्गमों का कारोबार किया जाता था। हालाँकि, हम तेजी से एए- और –ए रेटेड निर्गमों का आदान-प्रदान भी देख रहे हैं। यह बुनियादी ढांचे के कागजातों में बांड बाजार के विस्तार का एक बहुत ही सकारात्मक संकेत है। ऋण वृद्धि एक अन्य क्षेत्र है जिसमें काफी संभावनाएं हैं। भारत सरकार ने इस विशेष आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक अलग इकाई का प्रस्ताव रखा था। मेरा मानना है कि इस तरह की इकाई(कंपनी) प्रक्रिया में बहुत अधिक मूल्य बढ़ा देगी, क्योंकि यह कम-रेटेड निर्गमों के बहुमत को बांड बाजार तक पहुंचने में सक्षम बनाएगी।
अगले एक से दो साल के लिए आईआईएफसीएल की प्रमुख प्राथमिकताएं क्या हैं?
आईआईएफसीएल में, हमने सही काम करने और उसे बार-बार करने को प्राथमिकता दी है। आईआईएफसीएल ने अपने मूल्य निर्धारण को प्रतिस्पर्धी बनाए रखते हुए और अधिक व्यवसाय को आकर्षित करने और अपने पोर्टफोलियो को और अधिक मजबूत करने के लिए आधार दर को कम करके एक बढ़ी हुई बाजार हिस्सेदारी पर आक्रामक रूप से कब्जा करने की योजना बनाई है। आईआईएफसीएल अब अपनी सभी गतिविधियों में एक बाजारोन्मुखी गतिशीलता लाने की प्रक्रिया में है, जिसमें एक बेहतर क्रेडिट नीति, खंड(सेगमेंटेड) जोखिम-आधारित मूल्य निर्धारण, वसूली के लिए बढ़े हुए प्रयास, एक सक्रिय ट्रेजरी (कोषागार) प्रबंधन और परियोजनाओं की निगरानी का डिजिटलीकरण शामिल है ताकि प्रगति को सुनिश्चित किया जा सके। इससे परियोजनाओं के संवितरण में अधिक पारदर्शिता, दक्षता, एकीकरण और जोखिम प्रबंधन की मजबूती सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। यह मूल्य निर्धारण नीति को सही और बाजार की स्थितियों के साथ तालमेल बिठाने में भी मदद करेगा। इसके अलावा, चूंकि यह एक सतत प्रक्रिया है, हम विशेष क्षेत्रों में अपने कौशल विन्यास(सेट) का विस्तार करना चाहते हैं। साथ ही, हम नए क्षेत्रों में प्रवेश करके पारंपरिक क्षेत्रों से परे अपने पदचिह्नों(पहचान) का विस्तार करने का इरादा रखते हैं। इस प्रकार, मेरा मानना है कि यह वह उद्देश्य (रुख) है जिस पर हम विचार कर रहे हैं, लेकिन हम बुनियादी ढांचे को उधार देने में भी अंतर करना चाहते हैं, न कि केवल एक और ऋणदाता के रूप में। चूंकि आस्ति(परिसंपत्ति) वृद्धि महत्वपूर्ण है, हम अपनी परिसंपत्तियों को एक विशिष्ट सीमा तक विस्तारित करना चाहते हैं, जिसके बाद हम इक्विटी और आस्तियों (परिसंपत्तियों) पर अपने विवरणियों (रिटर्न) को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहेंगे।