उपभोक्ताओं को भी अपनी भूमिका निभानी होगी

दुनिया भर में हर सेकेंड 15,000 प्लास्टिक की बोतलें बिकती हैं, वहीं हर साल 26 से 27 ट्रिलियन प्लास्टिक बैगों की खपत होती है

भारत ने एक जुलाई से सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर रोक लगा दी है। लेकिन प्लास्टिक कंपिनयां, कई अन्य कंपनियां जैसे पारले एग्रो, अमूल, डाबर आदि ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (एआईपीएमए) के साथ मिलकर प्रतिबंध लागू करने में बारह महीने की छूट मांग रही हैं। वे प्लास्टिक के विकल्पों के उपलब्ध न होने, उनकी अव्यवहारिकता, मांग- आपूर्ति में अंतर का हवाला दे रही हैं, जिनकी वजह से उत्पादों की पैकिंग का खर्च बढ़ जाएगा।

जूस , लस्सी , नारियल पानी अदि के छोटे डिब्बों के साथ बिकने वाले प्लास्टिक से बने स्ट्रा पर प्रतिबंध का सबसे ज्यादा विरोध किया जा रहा है। तेजी से बिकने वाले सामानों (एफएमसीजी) की कई बड़ी कंपनियों का कहना है कि प्लास्टिक के स्ट्रा, उनके उत्पादों का मूलभूत हिस्सा हैं और उनसे कूड़ा फैलने की गुंजाइश भी कम होती है।

दरअसल प्लास्टिक की ऐसी वस्तुएं जिन्हें केवल एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है सब सिंगल यूस में आती हैं । आमतौर पर इनका उपयोग पैकेजिंग में किया जाता है। इनमें किराना बैग, खाद्य पैकेजिंग, सिगरेट बट्स, प्लास्टिक की बोतलें, प्लास्टिक के ढक्कन, स्ट्रॉ और स्टिरर, प्लास्टिक के कंटेनर, कप और कटलरी का सामान शामिल हैं।

दुनिया भर में हर सेकेंड 15,000 प्लास्टिक की बोतलें बिकती हैं, वहीं हर साल 26 से 27 ट्रिलियन प्लास्टिक बैगों की खपत होती है।

देश को प्लास्टिक के प्रदूषण से मुक्त करने का सफर आसान नहीं है और यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। इस प्रतिबंध को कामयाब बनाने के लिए कंपनियों, केंद्र और राज्य सरकारों समेत उपभोक्ताओं को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। ऐसे में देशवासियों को अपनी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए आगे आना होगा।

वहीं दूसरी तरफ़ से कंपनियों को अपने उत्पादों की पैकिंग की डिजाइन इस तरह से करने पर विचार करना चाहिए कि उसमें प्लास्टिक की स्ट्रा की अनिवार्यता खत्म हो। यह केवल तभी मुमकिन होगा, जब कंपनियां एक साथ आकर अपने संसाधनों का इस तरह से इस्तेमाल करेंगी

सिंगल यूज प्लास्टिक को फेज आउट करने का पहला ऐलान प्रधानमंत्री के द्वारा 15 अगस्त 2019 को किया गया था। इसके करीब दो साल बाद, यानी मार्च 2021 में इसके मसौदे की अधिसूचना जारी हुई थी। प्रस्तावित मसौदे की अधिसूचना में फेज आउट की डेडलाइन एक जनवरी 2022 रखी गई थी। प्लास्टिक इंडस्ट्री और एआईपीएमए के अनुरोध पर अगस्त 2021 में जारी निर्णायक अधिसूचना में डेडलाइन को बढ़ाकर एक जुलाई 2022 कर दिया गया था।

ऐसे में बहुत सारे उत्पाद अब भी बाज़ार में बिकते रहेंगे जिनमें सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। इनमें सॉफ्ट ड्रिंक, मिनरल वॉटर और पैकिंग में आने वाला सामान शामिल है। सरकार ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक की जो परिभाषा तय की है उसके भी ये सारे आइटम भी आते हैं लेकिन यह बाज़ार में मौजूद रहेंगे। इस हिसाब से सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर पाबंदी की ओर अभी आंशिक और पहला कदम ही उठाया जा सका है।

दरअसल देश में अभी प्लास्टिक के विकल्पों का बाजार अभी शुरुआती चरण में ही है। इस वजह से कंपनियों को उनका आयात करना पड़ता है, जिससे उत्पाद की लागत बढ़ जाती है।वैकल्पिक बाजार को व्यापक करने के लिए सरकारी कदमों की जरूरत है।

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