वित्त मंत्री ने वाशिंगटन डीसी में आईएमएफ की प्रबंध निदेशक से मुलाकात की

सुश्री जॉर्जीवा ने भारत के टीकाकरण कार्यक्रम तथा अपने पड़ोसी और अन्य कमजोर अर्थव्यवस्थाओं को दी गई सहायता की प्रशंसा की

केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने आज वाशिंगटन डीसी में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष-विश्व बैंक (आईएमएफ- डब्ल्यूबी) स्प्रिंग मीटिंग के दौरान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक सुश्री क्रिस्टालिना जॉर्जीवा के साथ द्विपक्षीय बैठक की।

केंद्रीय वित्त तथा कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक सुश्री क्रिस्टालिना जॉर्जीवा वाशिंगटन डी.सी. में

वित्त मंत्री और प्रबंध निदेशक दोनों के साथ वरिष्ठ अधिकारीगण श्री अनंत वी. नागेश्वरन, मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार और सुश्री गीता गोपीनाथ, एफडीएमडी, आईएमएफ भी मौजूद थे।

बैठक के दौरान, वित्त मंत्री और प्रबंध निदेशक ने भारत के महत्वपूर्ण मुद्दों के अलावा वैश्विक और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं द्वारा वर्तमान में सामना की विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा की।

सुश्री जॉर्जीवा ने भारत की कठिनाइयों से उबरने की क्षमता को रेखांकित किया, जो कोविड -19 महामारी से पैदा हुई चुनौतियों के बावजूद दुनिया में सबसे तेजी से विकसित होने वाला देश बना हुआ है। सुश्री जॉर्जीवा ने भारत द्वारा लागू की गयी एक मिश्रित नीति का भी उल्लेख किया, जो प्रभावी थी और जिसे अच्छी तरह से लक्षित किया गया था। उन्होंने आईएमएफ की क्षमता-विकास गतिविधियों में योगदान के लिए भारत की सराहना की।

सुश्री जॉर्जीवा ने भारत के टीकाकरण कार्यक्रम तथा अपने पड़ोसी और अन्य कमजोर अर्थव्यवस्थाओं को दी गई सहायता की प्रशंसा की। आईएमएफ की एमडी ने विशेष रूप से श्रीलंका के कठिन आर्थिक संकट के दौरान भारत द्वारा दी जा रही मदद का उल्लेख किया। श्रीमती सीतारमन ने कहा कि आईएमएफ द्वारा श्रीलंका को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए। प्रबंध निदेशक ने वित्त मंत्री को आश्वासन दिया कि आईएमएफ श्रीलंका के साथ सक्रिय रूप से संपर्क जारी रखेगा।

हाल की भू-राजनीतिक घटनाओं पर चर्चा करते हुए श्रीमती सीतारमन और सुश्री जॉर्जीवा ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इनके प्रभाव और इनके कारण ऊर्जा की बढ़ती कीमतों से जुड़ी चुनौतियों को लेकर चिंता व्यक्त की।

भारत के नीतिगत दृष्टिकोण की व्याख्या करते हुए श्रीमती सीतारमन ने उल्लेख किया कि एक समावेशी राजकोषीय स्वरुप के लिए संरचनात्मक सुधार किये गए, जिनमें दिवालियापन संहिता और एमएसएमई व अन्य कमजोर वर्गों के लिए लक्षित सहायता शामिल हैं।

श्रीमती सीतारमन ने कहा कि मौद्रिक प्राधिकरण ने उदार रुख के साथ इन प्रयासों को पूर्ण समर्थन दिया और पूरक के रूप में कार्य किया।

वित्त मंत्री ने आगे कहा कि भारत को अच्छे कृषि उत्पादन से मदद मिली है। कोविड महामारी के दौरान अच्छे मानसून से कृषि को समर्थन मिला। अन्य निर्यातों के साथ-साथ कृषि निर्यात में भी तेजी से वृद्धि हुई है। वित्त मंत्री ने निष्कर्ष के तौर पर कहा कि भारत नई आर्थिक गतिविधियों की शुरुआत कर रहा है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े कुछ मुद्दों को हल करने में मदद करेंगी।

Related Articles

Back to top button
English News